सोयाबीन की फसल किसान इस आशा से बोता है कि इस साल अधिक उत्पादन होगा और मंडी में अच्छा भाव मिलेगा। लेकिन हर साल बारिश के अधिक या कम होने से फैसले ख़राब हो जाती है या फिर मंडी में भाव इतना काम मिलता है कि केवल लगत ही निकल पाती है। सोयाबीन में दिन ब दिन लागत बढ़ती जा रही है। फिर भी किसान विकल्प न होने के कारण, हर साल इसकी बुआई करते है। लेकिन कुछ ऐसी वैकल्पिक फसलें है, जो कम लागत में अधिक लाभ दे सकती है। आइए जानते है वे कोनसी फसलें है।
मैं बात कर रहा हूँ, भारद धान्य यानि श्रीअन्न के बारें में। यह वे फसलें है जिनकी बुआई किसान बहुत साल पहले करना छोड़ चुके है। भारद धान्य में निम्न फसलें सोयाबीन का विकल्प हो सकती है।-
१) रागी (फिंगर मिलेट)
२) सांवा/ बर्टी (बार्नयार्ड मिलेट)
३) कांगनी / राला (फॉक्सटेल मिलेट)
इन फसलों कि बुआई बंद करने का मुख्य कारण कम उत्पादन और उन्नत किस्मों का न होना। लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी उन्नत किस्में विकसित कि है जो अधिक उत्पादन देती है।
इन फसलों कि बुआई करने के मुख्य फायदे इस प्रकार है -
१) यह फसलें हलकी उपजाऊ जमीन और कम पाणी में अधिक उत्पादन देती है।
२) किट और बिमारियों के लिए खर्च नही होता।
३) खरपतवार हटाने का खर्च कम होना।
संक्षेप में कहा जाए तो यह फसलें कम लगत में अधिक मुनाफा देती है।
सबसे बड़ी दिक्कत किसानो कि मंडी को लेकर होती है कि यह धान्य फसलें कहाँ बेचीं जाये अगर मंडी में न खरीदी जाए। मंडी में न खरीदी जाए तो आप इसको लघु उद्यम इकाइयों का पता करके उन्हें बेच सकते हो या फिर किसान समूह बनाकर अपनी संस्करण इकाई (प्रॉसेसिंग यूनिट) शुरू कर सकते है।
क्या आप इन फसलों के बारे में उत्पादन तकनीकों को विस्तार से जानना चाहेंगें?


